" सल्फी " बस्तर बियर |salfi bastar biyar
विश्लेषक - अमृत नरेटी
बस्तर में पायी जाने वाली प्राकृतिक वृक्ष सल्फी से निकलने वाली रस को सल्फी कहते हैं, एवं हिंदी में इसे सोमरस कहते है | और बस्तर की भाषा में इसे बस्तर बियर भी कहा जाता है, क्योंकि यह सल्फी बाजार में मिलने वाली बियर की तरह झाग देता है एवं बियर की तरह ही गैसीय होती है तथा इस रस मे कुछ मात्रा तक एल्कोहल भी पाया जाता है,
यह सल्फी का वृक्ष आपको बस्तर के हर गाँव एवं हर घर मे देखने को मिल जायेगा और आदिवासी इन वृक्ष से रस निकालकर रस को बिक्री कर अच्छी आमदानी कर लेते हैं|
यह पेय पदार्थ रस स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माना जाता है| जब सल्फी का रस बासी होने लगता है, तब उस सल्फी के रस में खमीर बनने लगता है एवं दुध की तरह गाढ़ा होने लगता है जब इस बासी वाली रस का सेवन किया जाता है तो नशा ज्यादा चढ़ता है एवं तुरंत रस निकालकर सेवन करने पर नशा बियर की तरह धीरे धीरे चढ़ता है | बस्तर में जैसे ही ठंड का मौसम आता है वैसे ही बस्तर की प्रसिद्ध बस्तर बियर सल्फी का भी मौसम आता है, यह सल्फी का रस ठंड के मौसम में निकलना शुरू होता है|
इसके शौकीन इसके सेवन करने के लिए गाँव गाँव से लोग पहुँच वृक्ष में भीड़ लगाये बैठे रहते हैं जब यह सल्फी का रस वृक्ष से तुमा एवं भूरका में उतारा जाता है तो ग्राहक अपनी संख्या एवं पीने की क्षमता अनुसार खरीद लेते है और मालिक उन्हें अलग-अलग एवं छोटी बड़ी तुमा भूरकों में रस भरकर अलग अलग निर्धारित मूल्य के अनुसार बिक्री करते हैं, तथा यह रस स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होने के कारण एवं बियर की तरह झाग निकलने की वजह से इस बस्तर बियर की सेवन करने के लिए शहर से भी लोग पहुँचते है, तथा इस रस की मांग अधिक होने की वजह से यह अधिक महंगा भी बिकने लगा है, यह सल्फी ठंड में शुरु होकर गर्मी तक रस देती है, इस वृक्ष से दिन में दो बार हंड़ी से रस निकाला जाता है एक सुबह के समय और एक बार शाम को उतारा जाता है यह वृक्ष दिन में 40 से 50 लीटर रस देती है |
• पोंगा कैसे काटा जाता है एवं रस कैसे उतरता है -
सल्फी का वृक्ष लगभग 40 से 45 फिट ऊँचाई तक होती है तथा 9 से 10 साल बाद यह वृक्ष रस देना शुरू कर देता है और यह वृक्ष बहुत ही कम समय में अधिक ऊँचाई तक बढ़ती है अगर इन वृक्ष में पानी का स्रोत अच्छा हो तो यह वृक्ष और भी तेजी से बढ़ने लगती है।
सल्फी के वृक्ष में गुच्छेदार हरे फुल फूलतें है जिसे पोंगा कहते हैं| और जिस स्थान पर फूल फूलतें है, उस स्थान की उपरी भाग एवं जहाँ तक फूल फूलतें हैं वहाँ तक को काट दिया जाता है, फिर वहांँ से रस निकालना शुरू हो जाता है तो हंड़ी फसा या टिका दिया जाता है जिससे निकलने वाला सारा रस हंड़ी में एकत्रित हो जाता है इस वृक्ष मे चढ़ने के लिए 40 से 45 फिट ऊँचाई तक के बांस को टिकाया जाता है और इस बांस के सहारे अपने जान को जोखिम मे डालकर चढ़ते हैं और एकत्रित हुई रस को तुमा या भूरका एवं बाल्टी या डब्बा मे डुमकर रस्सी के सहारे नीचे उतारते हैं | और इस पोंगा को रोज थोड़ा थोड़ा छिला जाता है ताकि पोंगा से रस अच्छे से एवं तेजी से उतर सके
• पुल्ला कार्यक्रम -
जब पहली बार इस वृक्ष के पोंगा को काटा जाता है एवं जो रस एकत्रित होता है, उस रस की बिक्री करने से पहले एवं इस रस को सेवन करने से पहले अपने देवी - देवताओं की पुजा अर्चना करते हैं, जिसे आम भाषा में इस कार्यक्रम को पुल्ला कहते हैं इस कार्यक्रम की शुरुआत पहली बार हंड़ी में एकत्रित हुई रस को उतारकर इस रस को वृक्ष के पुजा अर्चना के समय वृक्ष में रस तर्पण कर अपनी देवी - देवताओं से रस अच्छे उतरने एवं स्वाद अच्छा बने रहने की मन्नत मांग आशीर्वाद लेते हैं| इन आदिवासियों की पुजा करने की एक अलग ही विधि होती है, इस पुल्ला कार्यक्रम के दौरान सर्वप्रथम परिवार के सारे सदस्य एकत्रित होते हैं तथा एकत्रित होने के पश्चात पुजा अर्चना की शुरुआत करते हैं, इस पुजा में सर्वप्रथम वृक्ष के सामने लोटे से भरी पानी से धरती माँ को धोकर अपनी देवी- देवताओं की उपासना करते हुए धुप अगरबत्ती करते हैं तथा इसके पश्चात वृक्ष में लाली लगाकर सल्फी के रस एवं मंद (महुआ रस) का तर्पण कर अपने देवी-देवताओं से मन्नत मांँग आशीर्वाद लेते हैं| तथा इसके पश्चात पुजा दी जाती है, यानी किसी जानवर की बलि दी जाती है एवं इसके बाद यह पुल्ला कार्यक्रम सम्पूर्ण रुप से सम्पन्न हो जाती है और इस पुजा के बाद ही इस सल्फी एवं बस्तर बियर की रस का सेवन किया जाता है तथा बिक्री की जाती है | इस वृक्ष में रोज केवल एक ही आदमी चढ़कर रस निकालता है |
• हाट बाजार -
वृक्ष से निकलने वाली रस सल्फी को आदिवासी महिलाएं एवं पुरुष रस को हंड़ी, गुंडी़ एवं भूरकों में भरकर बिक्री करने हाट या बाजार ले जाते है तथा सड़क किनारे भी बिक्री करने के लिए निकलते हैं और इससे जो आय होती है उससे अपनी जीवन यापन करते है।
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" धन्यवाद "
2 टिप्पणियाँ
बहुत ही अच्छी जानकारी भाई ✌️✌️🙏🙏🙏
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